राजस्थान के प्रमुख प्रजामंडल आंदोलन
हेलो नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको बताने वाले हैं के प्रजा राजस्थान में प्रजामंडल आंदोलन क्यों हुए और किस किस स्थान पर हुए।
कांग्रेस ने अपने त्रिपुरी अधिवेशन सन् 1939 ईस्वी में देसी रियासतों की राजनीतिक संस्थाओं की गतिविधियों के साथ अपनी अहस्तक्षेप नीति का परित्याग कर पूर्ण सहयोग देने की नीति का प्रस्ताव पारित किया।
अतः सन् 1938 के बाद राजस्थान की लगभग सभी रियासतों में प्रजामंडल की स्थापना हुई और सभी रियासतों में उत्तरदाई शासन की मांग को लेकर आंदोलन किए जाने लगे।
राजस्थान सेवा संघ –
राजस्थान सेवा संघ की स्थापना का विचार विजय सिंह पथिक के दिमाग में आया जिसकी स्थापना सन् 1919 में वर्धा (महाराष्ट्र) में हुई।
जिसके अध्यक्ष विजय सिंह पथिक थे वर्धा से राजस्थान सेवा संघ द्वारा राजस्थान केसरी नामक साप्ताहिक समाचार पत्र प्रकाशित किया गया। राजस्थान में राजस्थान सेवा संघ की स्थापना अजमेर में हुई सन् 1928 में आपसी मतभेद के कारण राजस्थान सेवा संघ समाप्त हो गया।
राजपूताना मध्य भारत सभा – 1918
राजपूताना मध्य भारत सभा की स्थापना सन् 1918 में हुई जिसके अध्यक्ष जमुना लाल बजाज और उपाध्यक्ष गणेश शंकर विद्यार्थी को बनाया गया था।
राजपूताना मध्य भारत सभा का प्रथम अधिवेशन में दिल्ली में हुआ था जिसके अध्यक्ष गिरिधर शर्मा थे।
राजपूताना मध्य भारत सभा का मुख्यालय अजमेर था।
अखिल भारतीय देशी राज्य प्रजा परिषद
इसकी स्थापना सन् 1927 में मुंबई में हुई थी इसका प्रथम अधिवेशन मुंबई में हुआ था लेकिन इस का सातवां अधिवेशन सन् 1946 – 47 में उदयपुर में हुआ था जिसकी स्थापना जवाहरलाल नेहरू ने की थी।
प्रजामंडल आंदोलन की स्थापना का उद्देश्य रियासत तुम में उत्तरदाई शासन की स्थापना करना था।
जिसका अर्थ होता है – जनता के प्रतिनिधियों द्वारा शासन
प्रजामंडल आंदोलन का विकास 1938 के हरिपुरा अधिवेशन से माना जाता है। जिसकी अध्यक्षता सुभाष चंद्र बोस ने की।
तो चलिए अब हम प्रजामंडल की ओर बढ़ते हैं।
1. जयपुर प्रजामंडल –
सर्वप्रथम 1931 में कपूरचंद पाटनी के द्वारा जयपुर प्रजामंडल की स्थापना की गई।
जयपुर में जनजागृति का जनक अर्जुन लाल सेठी को माना जाता है इसीलिए अर्जुन लाल सेठी को राजस्थान का प्रथम क्रांतिकारी भी कहा जाता है अर्जुन लाल सेठी का जन्म जयपुर के जैन परिवार में हुआ था।
जब अर्जुन लाल सेठी के जिलाधीश का पद पर नियुक्त किया गया तो उन्होंने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि “यदि अर्जुन लाल सेठी नौकरी करेगा तो अंग्रेजों को भारत से बाहर कौन निकालेगा।”
इन्होंने सन् 1907 अजमेर में जैन शिक्षा सोसायटी की स्थापना की जिसे सन् 1908 में जयपुर स्थानांतरित करके क्रांतिकारियों के प्रशिक्षण के लिए नियुक्त कर दिया।
जन शिक्षा सोसायटी के क्रांतिकारियों के द्वारा ही नीमेज (बिहार) हत्याकांड को अंजाम दिया गया।
जिसमें मोती चंद, माणक चंद, जयचंद, जोरावर सिंह बारहठ भगवान दास शामिल थे।
2. मेवाड़ प्रजामंडल –
मेवाड़ की स्थापना 24 अप्रैल 1938 माणिक्य लाल वर्मा के द्वारा की गई।
मेवाड़ में जन जागृति फैलाने का श्रेय किसान आंदोलन को जाता है।
जिसके प्रथम अध्यक्ष बलवंत सिंह मेहता को बनाया गया और उपाध्यक्ष भूरेलाल बयां मेवाड़ प्रजामंडल का प्रथम अधिवेशन 1941 में उदयपुर में हुआ था।
जिसमें माणिक्य लाल वर्मा को उपाध्यक्ष बनाया गया
माणिक्य लाल वर्मा की पुस्तक – मेवाड़ का वर्तमान शासक
3. जैसलमेर प्रजामंडल –
जैसलमेर प्रजामंडल की स्थापना 15 दिसंबर 1945 को जोधपुर में मीठालाल ब्यास की।
जैसलमेर में जनजागृति का जनक सागरमल गोपा को कहा जाता है।
सावन गोपा ने जैसलमेर की जनता में जन जागृति के लिए 2 पुस्तकें लिखी
1. आजादी के दीवाने
2. जैसलमेर का गुंडाराज
जिससे नाराज होकर जवाहर सिंह ने सावन गुफा को जेल में डाल दिया 3 अप्रैल 1946 को थानेदार गुमान सिंह ने शर्मा गुफा को जिंदा जला दिया। इनकी हत्या के कारणों का पता लगाने के लिए गोपाल स्वरूप पाठक आयोग गठित किया गया इस आयोग ने से आत्महत्या की संज्ञा दी।
4. बीकानेर प्रजामंडल –
बीकानेर प्रजामंडल की स्थापना वैद्य मघाराम ने 4 अक्टूबर 1936 को कोलकाता में की।
बीकानेर प्रजामंडल के प्रथम अध्यक्ष मघाराम वैद्य को ही बनाया गया।
बीकानेर के शासक गंगा सिंह प्रजामंडल का दमन कर दिया जिसे बीकानेर प्रजामंडल की भ्रूण हत्या कहा जाता है।
5. अलवर प्रजामंडल –
अलवर प्रजामंडल की स्थापना सन् 1938 में हरिनारायण शर्मा और कुंज बिहारी लाल ने मिलकर कि इसके अध्यक्ष हरिनारायण शर्मा थे।
6. भरतपुर प्रजामंडल –
भरतपुर प्रजामंडल की स्थापना सन् 1938 में युगल किशोर चतुर्वेदी, किशनलाल जोशी, मास्टर आदित्येंद्र, गोपी लाल यादव आदि ने मिलकर रेवाड़ी (हरियाणा) में की थी इसकी अध्यक्ष गोपीलाल यादव थे।
सन् 1939 में भरतपुर प्रजामंडल का नाम के स्थान पर भरतपुर प्रजा परिषद कर दिया गया।
7. धौलपुर प्रजामंडल –
1934 में धौलपुर में ज्वाला प्रसाद जिज्ञासु ने नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना की।
इस सवाल के माध्यम से 1930 में कृष्ण दत्त पालीवाल ने धौलपुर गया मंडल की स्थापना की।
8. करौली प्रजामंडल –
करौली प्रजामंडल की स्थापना सन् 1939 में त्रिलोक चंद्र माथुर ने की थी ।
9. झालावाड़ प्रजामंडल –
झालावाड़ प्रजामंडल की स्थापना सन् 1939 में मांगी लाल भव्य ने कि यह राजस्थान का एकमात्र प्रजामंडल था जिसको राजकीय संरक्षण प्राप्त था।
10. डूंगरपुर प्रजामंडल –
डूंगरपुर प्रजामंडल की स्थापना 1 अगस्त 1944 को बांगड़ के गांधी कहे जाने वाले भोगीलाल पंड्या के द्वारा की गई थी जिसके प्रथम अध्यक्ष भोगीलाल पंड्या ही थे।
Conclusion :
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