1857 का स्वतंत्रता संग्राम क्यों हुआ।
1857 की क्रांति या विप्लव
हेलो नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपका बहुत बहुत स्वागत है आज हम आपको जानकारी देने वाले हैं कि 1857 की क्रांति कब व क्यों हुई थी।
1857 की क्रांति के समय नियुक्त पोलिटिकल एजेंट व छावनियां
1857 की क्रांति कि भारत में शुरुआत 10 मई 18 57 को मेरठ से मानी जाती है।
राजस्थान 1857 की शुरुआत 28 मई 1857 में नसीराबाद छावनी से हुई थी।
दोस्तों जब 1857 ई. की क्रांति के समय राजस्थान में मेवाड़ मारवाड़ और जयपुर में क्रमशः मेजर शावर्स, मॉक मेसन, और कर्नल ईडन पोलिटिकल एजेंट नियुक्त थे। यह सभी जॉर्ज पैट्रिक लारेंस अधीन थे।
उस समय राजस्थान में 6 सैनिक छावनियां थी –
1. नसीराबाद छावनी
2 . नीमच छावनी
3. देवली छावनी
4. ब्यावर छावनी
5. खेरवाड़ा छावनी
6. एरिनपुरा छावनी
इन छावनी में भारतीय सैनिक 5000 थे और इनके अतिरिक्त कोई भी यूरोपियन सैनिक नहीं था।
1. 1857 की क्रांति के कारण ≈> राजस्थान में 1857 की क्रांति के प्रमुख निम्नलिखित कारण है–
(A) कंपनी और राज्यों के आंतरिक शासन में हस्तक्षेप –
कंपनी ने राज्य को आश्वासन दिया किसी भी राज्य के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे उसके बावजूद भी अंग्रेज राज्यों के आंतरिक प्रशासन में हस्तक्षेप करने लगे।
(B) राज्यों के उत्तराधिकार के प्रश्न पर असंतोष –
नि:संतान राजा द्वारा गोद लेने संबंधी मामलों में कंपनी ने अपना निर्णय देसी रियासतों पर लादने की कोशिश की जिसमें 1826 ई. में अलवर राज्य में हस्तक्षेप कर अलवर को दो हिस्सों में बटवा दिया। 1826 ई. में भरतपुर के लोहागढ़ दुर्ग को नष्ट कर पोलिटिकल एजेंट के अधीन काउंसिल की नियुक्ति की।
(C) सामान्य जनता की अप्रसन्नता –
राजस्थान में सामान्य जनता की भावना अंग्रेजों के विरुद्ध चरम सीमा पर थी अंग्रेजों कि अपनी धर्म प्रचार नीति समाज सुधार एवं आर्थिक नीतियों को यहां की जनता अपने धर्म व जीवन में अंग्रेजी हस्तक्षेप की संज्ञा दी इसका स्पष्ट उदाहरण है – डूंगरी का जवाहर जी द्वारा नसीराबाद की सैनिक छावनी को लूटना आम जनता में प्रसन्नता का कारण बनना।
(D) राज्यों के आर्थिक मामलों में हस्तक्षेप –
अंग्रेजी कंपनी ने राज्यों के साथ खिराज वसूलने की प्रथा के द्वारा आर्थिक शोषण की नीति लागू कर दी इसके अतिरिक्त राज्यों में शांति व्यवस्था स्थापित करने एवं विभिन्न सैनिक छावनी यों की स्थापना कर इन सभी के रखरखाव का खर्चा संबंधित राज्यों से वसूल किया जाने लगा।
(E) सामंतों की मनोदशा –
1818 की संधियों के पश्चात राज्य के शासकों की सामंत पर निर्भरता प्राय समाप्त ही हो गई थी सामंत अपनी दुख की स्थिति का उत्तरदाई अंग्रेजों को ही मानते थे आउआ कोठारी और सलूंबर ठिकाने इसके प्रत्यक्ष उदाहरण है।
(F) तत्कालीक कारण –
भारत में अट्ठारह सत्तावन ईसवी की क्रांति का तात्कालिक कारण एनफील्ड राइफल ओं में प्रयुक्त कार दूसरों में गाय और सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाना था जिनका इस्तेमाल करने से पहले मुंह से खोलना पड़ता था।
1857 की क्रांति किन –किन स्थानों पर हुई ?
क्रांति की तारीख पहले का 30 मई 1857 तय की गई थी लेकिन कुछ सैनिकों के भरत बड़क जाने के कारण 28 मई 1857 को प्रारंभ हो गई।
(1) नसीराबाद छावनी की क्रांति – 31 मई 1857
राजस्थान में 1857 की क्रांति का सूत्रपात सर्वप्रथम नसीराबाद छावनी (अजमेर) में हुआ था क्रांति का प्रमुख कारण अविश्वास था।
क्रांति के समय नसीराबाद में 15 वी (NI) नेटिव इन्फेंट्री जिसका 30 वी (NI) नेटिव इन्फेंट्री ने दिया और जब भी सैनिक की कमी पड़ने पर मुंबई से एक सैनिक टुकड़ी बुलाई गई जिसे भालाधारी टुकड़ी कहा गया इन सैनिकों को लाशार्स का जाता था अंत में नसीराबाद छावनी में 2 सैनिक अधिकारी 1. स्पोटिस्ब बुड 2. न्यूवरी
(2) नीमच में क्रांति –3 जून 1857
जिस समय नीमच में क्रांति हुई थी उस समय नीमच छावनी की देखरेख मेवाड़ का पोलिटिकल एजेंट शावर्स कर रहा था क्रांति की खबर सुनकर अंग्रेज अधिकारी एवार्ट घबरा गया और सैनिकों को वफादारी की शपथ दिलाने लगा किंतु 2 सैनिक ऐसे थे जिन्होंने वफादारी की शपथ ना देते हुए क्रांति का नेतृत्व करने का निश्चय किया
उनके नाम – मोहम्मद अली बेग, हीरा सिंह
(3) एरिनपुरा में क्रांति – 21 अगस्त 1857
जोधपुर की सेना को अकुशल बताते हुए उन्होंने अरनमूला छावनी का गठन किया। एरिनपुरा छावनी में सैनिकों ने “चलो दिल्ली मारो फिरंगी का नारा लगाया!”
एरिनपुरा में हुए विद्रोहके सैनिका आऊआ जा पहुंचे जहां पर आऊआ के शासक खुशाल सिंह चंपावत ने विद्रोह किया।
(3) कोटा में विद्रोह _– 15 अक्टूबर 1857
कोटा में 18 57 की क्रांति का नेतृत्व जयदयाल और मेहराव खां ने किया।
क्रांति के समय का पोलिटिकल एजेंट मेजर बर्टन और शासक रामसिंह था। राम सिंह को विद्रोहियों ने नजर बंद कर दिया।
मेजर बर्टन का सिर काटकर कोटा के किले पर लटका दिया और उसके दो पुत्र फ्रैंक और आर्थर को भी विद्रोहियों ने मार डाला और कोटा 6 महीने तक विद्रोहियों के नेतृत्व में नहा रहा अंत में मेहराव खां और जयदयाल को फांसी दे दी गई।
Conclusion :
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